मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आ रहे हैं। मगर उससे पहले आज शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में कैबिनेट बैठक बुलाई। ये इस सरकार की आखिरी कैबिनेट थी। शिवराज सरकार के चार बार के कार्यकाल में ऐसा पहली बार हुआ कि जब मतदान और मतगणना के बीच कोई कैबिनेट बैठक बुलाई गई हो। पूरे मामले पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि मतगणना को प्रभावित करने के लिए ये बैठक बुलाई।

महज दो दिन के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे सबके सामने होंगे। नतीजे किसके पक्ष में होंगे, ये 3 दिसंबर को पता चलेगा, लेकिन उससे पहले शिवराज सिंह चौहान कॉंफिडेंट नजर आ रहे हैं। आज मंत्रालय में कैबिनेट बैठक बुलाई गई। सभी मंत्रियों को बुलाया गया। हालांकि इस कैबिनेट बैठक में आचार संहिता के चलते कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। इसके बावजूद यह बैठक बुलाई गई।

वैसे यह बात सच है कि अपने चार बार के कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान ने मतदान और मतगणना के बीच पहली बार कैबिनेट बैठक बुलाई है। इस कैबिनेट से शिवराज सिंह चौहान ने बतौर ये संदेश देने की कोशिश की है कि आने वाले समय में बीजेपी की ही सरकार आ रही है और मुख्यमंत्री भी वही होंगे। यानी जैसा काम काज चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा।

दूसरी तरफ आज ही मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को विदाई भी दी गई। जब हमने मंत्रियों से कांग्रेस के आरोपों को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस बौखलाई हुई है। इस बौखलाहट में कांग्रेस अपनी हार स्वीकार कर रही है। लेकिन कैबिनेट क्यों बुलाई? इस सवाल पर कोई सीधा जवाब नहीं मिला।

एमपी में मतदान के दौरान कई जगहों पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। बलाघाट में मत पत्रों से छेड़छाड़ हुई। पहले तहसीलदार को निलंबित किया गया। बाद में SDM तक को निलंबित किया गया। भिंड में फर्जी वोटिंग की शिकायत हुई। यहां फिर से मतदान को लेकर भी मांग की गई है। कांग्रेस ने पूरे प्रदेश से उन अधिकारियों की सूची भी बनाई, जिन्होंने बीजेपी को समर्थन किया है। देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किसकी बनती है।