मनाली की आंचल ठाकुर ने भारत की ओर से स्कीइंग में मंगलवार को इतिहास रच दिया। आंचल ने मंगलवार को इंटरनैशनल लेवल के स्कीइंग कॉम्पिटिशन में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इंटरनैशनल स्कीइंग कॉम्पिटिशन में पदक जीतने वाली वह भारत की पहली खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एल्पाइन एज्डेर 3200 कप में ब्रॉन्ज अपने नाम किया। एल्पाइन एज्डेर 3200 कप का आयोजन स्की इंटरनैशनल फेडरेशन (FIS)करता है। आंचल ने यह मेडल स्लालम (सर्पिलाकार रास्ते पर स्की दौड़) रेस कैटिगरी में जीता है।
इस बार यह टूर्नमेंट तुर्की में आयोजित हुआ था। तुर्की के पैलनडोकेन स्की सेंटर में आंचल ने भारत की ओर से इतिहास रचने के बाद खुशी जताई। अपनी इस जीत के बाद उन्होंने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बात की। आंचल ने कहा, ‘महीनों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद आखिरकार मेहनत रंग लाई। मैंने यहां अच्छी शुरुआत की और शुरुआत में ही लीड बना ली, जिसकी बदौलत इस रेस को मैंने तीसरे स्थान पर खत्म किया।’
अपनी इस जीत को आंचल ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट टि्वटर पर शेयर करते हुए लिखा, ‘आखिरकार कुछ ऐसा हो गया है, जिसकी उम्मीद नहीं थी। मेरा पहला इंटरनैशलन मेडल। हाल ही में तुर्की में खत्म हुए फेडरेशन इंटरनैशनल स्की रेस (FIS) में मैंने शानदार परफॉर्म किया।’

आंचल की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि विंटर स्पोर्ट्स को लेकर हमारे देश में कोई कल्चर नहीं है और न ही ऐसे स्पोर्ट्स के लिए संसाधन भी यहां उपलब्ध नहीं है। भारत के जो खिलाड़ी विंटर स्पोर्ट्स में हिस्सा भी लेते हैं, तो उन्हें इसके लिए देश के खेल मंत्रालय से कोई मदद नहीं मिलती।

आंचल के पिता और विंटर गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव रोशन ठाकुर ने आंचल की इस जीत पर कहा, ‘अब भारत में इस खेल के लिए यह शानदार मौका है और समस्त स्कीइंग फ्रटर्नटी को आंचल की इस उपलब्धि पर नाज है।’

उन्होंने कहा, ‘आंचल ने इस जीत के बाद मुझसे वॉट्सऐप पर बात की और मुझे अपना मेडल दिखाया। मैंने सोचा कि यह शायद स्मृति चिह्न होगा, जो स्कीइंग में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है, लेकिन उसने मुझे बताया कि उसने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।’

स्कीइंग स्पोर्ट्स में इंटरनैशनल लेवल पर आज भारत का नाम रोशन करने वाली आंचल की इस उपलब्धि के पीछे उनके पिता और FIS का बड़ा हाथ है। आंचल की ट्रेनिंग औऱ उसके टूर का सारा खर्च उन्होंने ही उठाया है। उनके पिता ने बताया कि उनकी बेटी को या स्कीइंग के दूसरे खिलाड़ियों को आज तक केंद्रीय खेल मंत्रालय से कोई मदद नहीं मिली है। खेल मंत्रालय में बैठे नौकरशाह स्कीइंग को खेल नहीं मानते हैं।

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