22222222222ग्वालियर। केरल की माकपा सरकार अपने राज्य के नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। वहां की सरकार के इशारे पर ही न केवल राष्ट्रवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की अपितु विरोधी विचारधारा वाले लोगों की बर्बरता पूर्वक हत्याएं की जा रही हैं, इसलिए वहां की सरकार की तत्काल बर्खास्त कर केरल में आपातकाल लगाने के साथ वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए। यह मांग शुक्रवार को जनाधिकार समिति ग्वालियर द्वारा फूलबाग चौराहे पर आयोजित धरना-प्रदर्शन में उभरकर सामने आई।
केरल में माकपाई गुण्डों द्वारा राष्ट्रवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं पर जारी बर्बर हिंसा के विरोध में आयोजित इस धरना प्रदर्शन में शहर के विभिन्न राष्ट्रवादी संगठनों से जुडे तीन हजार से अधिक लोगों और साधु-संतों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए केरल में वहां की माकपा सरकार के इशारे पर की जा रही राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं की नृशंस हत्याओं की कड़ी निंदा करते हुए वहां आपातकाल घोषित करने की मांग का समर्थन किया।
धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह विभाग संघचालक डॉ. राजेन्द्र बांदिल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी भी कार्य का प्रारंभ और अंत एक ही मंत्र भारत माता की जय से होता है। यह बात हमारी समझ से परे है कि जो कार्यकर्ता संवेत स्वर में अपने कंठ से भारत माता की जय बोलते हैं, उनसे किसी को क्या आपत्ति हो सकती है, लेकिन केरल एक ऐसा राज्य है, जहां भारत माता की जय बोलने वालों की निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी जाती है।
भारतीय शिक्षण मंडल के अ.भा. महामंत्री डॉ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि केरल में कानून व्यवस्था का पालन नहीं हो पा रहा है, इसलिए वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।
धरने को संत कृपाल सिंह महाराज, ढोली बुआ महाराज, रामतीर्थ महाराज, रामसेवक दास महाराज, मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर के अध्यक्ष डॉ. संतोष अवस्थी, अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास के अध्यक्ष हरीदास अग्रवाल, भाजपा के प्रांत कार्यकारिणी सदस्य विवेक जोशी, बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मिश्रा एवं पूर्व न्यायाधीश प्रभाकांत शुक्ल ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए केरल में राष्ट्रपति शासन लगाने की वकालत की। अंत में राष्ट्रगान के साथ धरने का समापन हुआ। बाद में राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया। इस मौके पर बजरंग दल के पूर्व संयोजक पूरन सिंह भदौरिया भी उपस्थित थे।

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