भोपाल ! शहरों में आवारा कुत्तों की बढ़ रहीं संख्या और नागरिकों को आवारा कुत्तों द्वारा काटने एवं उससे मानव जीवन को हो रही हानि को राज्य मानव अधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस सिलसिले में विस्तृत अनुशंसाएं कर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त से आवश्यक कार्यवाही कर प्रतिवेदन देने को भी कहा है।
दरअसल, पिछले दिनों 9 वर्षीय छात्र यमान कुत्तों के भोंकने तथा पीछा करने पर घबरा गया और उनसे बचने के लिए भागा, जिससे बस से कुचल कर उसकी मौत हो गई। यह खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई जिस पर आयोग ने संज्ञान भी लिया। आयोग ने इसे बच्चे के जीने के अधिकार का हनन मानते हुए साफ तौर पर कहा, कि बच्चे के परिवार को धारा 13 (ए)(प) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत 5 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दिए जाने की अनुशंसा पर भी विचार कर रहा है। आयोग का मानना है, कि नगर निगम, भोपाल आवारा व खूंखार कुत्तों पर नियंत्रण नहीं कर पाने की लापरवाही के चलते छात्र यमान के जीने का अधिकार छिना।
कमेटी के अधिकार और कर्तव्य
एनीमल बर्थ कंट्रोल (डाग्स) रूल, 2001 के नियम 5 के तहत जो कमेटी गठित है, जिसके अध्यक्ष आयुक्त नगर निगम या नगर पालिका आदि के मुख्य कार्यपालन अधिकारी होते हैं। कमेटी को अधिकार है, कि वह पशु चिकित्सक को प्रकरण के मुताबिक गंभीर बीमार, घायल व रैबिज कुत्तों के लिए सोडियम पेंटाथोल दवा उपयोग करने के निर्णय की आज्ञा दे सकती है। कमेटी को आवारा कुत्तों के स्वतंत्र एजेंसी से सर्वे कराने का भी अधिकार हैं।
-नियम-6 (बी) में सड़क पर विचरण करते कुत्तों के पकडऩे और परिवहन के नियम हैं। नियम 6(1)(डी) में बंध्याकरण एवं टीकाकरण के लिए मोबाईल सेंटर एम्बूलेंस में मेडिकल सुविधा के साथ उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं।
-नियम-7 में आवारा कुत्तों को पकडऩे, बंध्याकरण एवं टीका करण करने एवं उनकों फिर से छोडऩे के निर्देश हैं। कुत्ते केा पकडऩे के लिए पर्यापत स्कायड बनाने और कुत्तें के काटने की रिपोर्ट पर तत्काल कार्यवाही करने के नियम बनाए गए हैं, इसकी शिकायतों पर कमेटी को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।
-कुत्तों को पकडऩे की प्रक्रिया नियम-7(3) व 7 (4) में बताई गई है। नियम -9 में गंभीररूप से घायल और बीमार कुत्तों पर सोडियम पेंटाथोल के उपयोग की प्रक्रिया का विवरण दिया गया है।
-नियम-10 में खूंखार की शिकायत वेबसाइट आने पर क्या कार्यवाही करनी चाहिए, इसका विवरण दियाा गया है व ऐसे कुत्ते जिनके रैबिड होने की बहुत ज्यादा संभावना है, उसे पृथक रखने की आवश्यता बताई गई है।

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