भोपाल । शिक्षा का अधिकार कानून के तहत ‘‘बच्चों को शारीरिक दण्ड दिए बिना शाला अनुशासन एवं गुणवत्तायुक्त शिक्षा की चुनौतियाँ’’ पर निजी विद्यालयों का सकारात्मक रूख रहा और उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण द्वारा उपायों से भी अवगत करवाया। इस विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आज राज्य शिक्षा केन्द्र में सम्पन्न हुई। कार्यशाला में प्रदेश के ग्वालियर, होशंगाबाद एवं भोपाल संभाग के निजी विद्यालयों के प्राचार्यों एवं प्रबंधन प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में राज्य शिक्षा केन्द्र आयुक्त श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम और उससे संबंधित राज्य के नियमों पर प्रकाश डाला। शिक्षाविद् एवं शिक्षा का अधिकार कानून के राज्य सलाहकार श्री एल.एस. बघेल ने कार्यशाला की विषयवस्तु से सभी सहभागियों को अवगत करवाते हुए बच्चों को शारीरिक दण्ड दिए बिना शाला अनुशासन बनाये रखने के साथ ही गुणवत्तायुक्त शिक्षा के संबंध में अधिनियम और नियमों की बारीकी से जानकारी दी।

देर रात तक चली इस कार्यशाला में समूह कार्य के दौरान चार समूहों ने बच्चों की समस्याएँ, आयुवार समस्याओं का निराकरण, बालक-बालिकाओं की संयुक्त शिक्षा व्यवस्था की दिशा में ज्यादा आयु वर्ग के बच्चों की अनुशासनहीनता और पृथक-पृथक विषयों पर मंत्रणा पर अपना प्रस्तुतीकरण भी दिया। कार्यशाला में प्रमुख रूप से ग्वालियर संभाग के सिंधिया कन्या विद्यालय, सिंधिया फोर्ड स्कूल, ग्वालियर ग्लोरी स्कूल, इंदौर संभाग के सिक्का स्कूल, वैष्णव स्कूल, क्वीनस् कॉलेज, होशंगाबाद संभाग के सेंट फ्रांसिस स्कूल, नालंदा स्कूल, बेरसेवा स्कूल तथा भोपाल संभाग के सेंट जोसफ, कोपल स्कूल, मदर टेरेसा स्कूल, इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल और देहली पब्लिक स्कूल के साथ ही लगभग 50 स्कूल के प्राचार्य एवं अन्य प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।

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