नई दिल्ली. सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दूसरे चरण में मुख्य विपक्षी दल भाजपा, यूपीए सरकार को गिराने की रणनीति पर काम करेगी। भाजपा ने यह आक्रामक रुख टूजी घोटाले की जांच के लिए बनी जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल किए जाने के बाद लिया है।

संसद सत्र को लेकर एनडीए की शनिवार को हुई बैठक के बाद आडवाणी ने इस बात पर दुख और हैरानी जताई कि टूजी घोटाले की जांच को लेकर बनी जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में वाजपेयी का नाम शामिल किया गया है। वाजपेयी के अलावा जसवंत सिंह और अरुण शौरी का नाम भी इसमें शामिल हैं। आडवाणी ने कहा कि पूरा एनडीए, जेपीसी की इस रिपोर्ट को खारिज करेगा। उन्होंने जेपीसी में शामिल सभी सदस्यों से आग्रह किया है कि वे इस रिपोर्ट को खारिज करें। बकौल आडवाणी, जिस तरह से वाजपेयी का नाम ड्राफ्ट रिपोर्ट में है उससे सिर्फ एनडीए ही नहीं अन्य दलों के लोग भी आक्रोषित होंगे। यह आश्चर्यजनक है कि ए. राजा जेपीसी के सामने बार-बार पेश होने की मांग करते रहे,लेकिन उन्हे नहीं बुलाया गया। इसी तरह प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया। इसके उलट वाजपेयी का नाम शामिल किया गया और जसवंत तथा शौरी, जिन्हें सीबीआई ने पूछताछ के बाद क्लीनचिट दी, का नाम भी रिपोर्ट में शामिल है।

सूत्रों का कहना है कि जेपीसी रिपोर्ट को आधार बना कर भाजपा वामपंथियों, सपा, बीजद और अन्नाद्रमुक जैसी पार्टियों को एकजुट करके सरकार के खिलाफ कटौती प्रस्ताव या सरकार को अल्पमत में साबित करने का अन्य संसदीय प्रावधानों को आजमा सकती है।

एनडीए का असहयोग
आडवाणी ने दो टूक कहा है कि वाजपेयी का नाम घसीटे जाने के बाद यूपीए को सहयोग देना संभव नहीं है। उन्होंने कहा है कि अभी तक प्रमुख बिल पास कराने के लिए सरकार, विपक्ष से सहयोग लेता रहा है लेकिन जिस तरह से वाजपेयी का नाम घसीटा गया है उसके बाद संभव नहीं है कि सरकार को किसी बिल पर सहयोग मिलेगा।

कोलगेट पर बवाल
वाजपेयी का नाम जेपीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट में आने के बाद आडवाणी सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोलने के लिए आक्रामक हैं। उन्होंने कहा है कि एनडीए सत्र के पहले दिन ही कोलगेट के मुद्दे पर बहस चाहेगा। कानून मंत्री ने जिस तरह से पिछले दिनों रिपोर्ट में हस्तक्षेप किया है उसको लेकर एनडीए सरकार को घेरेगा।

बैठक में शिवसेना नहीं
एनडीए की बैठक में शिवसेना का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। आडवाणी ने कहा कि शिवसेना का कोई कार्यक्रम है जिसमें पार्टी के सभी लोग शामिल हैं। लिहाजा शिवसेना बैठक में शामिल नहीं हो सकी। इसी तरह राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो सके।

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