सागर ! आजीवन कारावास की सजा काट रहे बेटे को जेल में प्रताडऩा मिल रही है। जिसके कारण उसको गुपचुप तरीके से भोपाल में इलाज के लिए भेजा गया। जिसकी सूचना हमें नहीं दी। साहब… मेरा बेटा उसके किए की सजा को काट रहा हैं। लेकिन, जेल में उसे प्रताडि़त किया जा रहा है। ऐसे की कुछ शब्द उस मां के है जिसने शिकायत दर्ज कराकर अपने बेटे के लिए न्याय की गुहार लगाई है…
केन्द्रीय जेल सागर में उम्रकैद की सजा काट रहे एक युवक को इस कदर शारीरिक और मानसिक प्रताडि़त किया गया कि वह विक्षिप्त अवस्था में जा पहुंचा। सागर जेल में हालत बिगडऩे पर उसके परिजनों को सूचना दिये बगैर चुपचाप भोपाल भेज दिया गया। इस आशय की लिखित शिकायत करते हुए युवक की मां ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, गृह एवं जेल मंत्री तथा जेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी शिकायत में युवक पवन केशरवानी की मां निशा केशरवानी (निवासी जवाहरगंज वार्ड, सागर) ने बताया है कि पुत्र पवन केशरवानी वर्ष 2012 से केन्द्रीय जेल सागर में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। गत् माह 26 अक्टूबर 2015 को पवन ने जेल पुलिस के द्वारा मोबाइल से फोन करवाया कि उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल सागर लाया गया है। इस सूचना पर उसके पिता लखनलाल तथा चाचा बलराम केशरवानी जिला अस्पताल गए। उस वक्त पवन की तबियत लगभग ठीक थी। 9 नवम्बर को धनतेरस के दिन छोटा भाई शुभम केशरवानी पवन से मुलाकात करने सागर केन्द्रीय जेल गया था। जहां तीन-चार घंटे इंतजार कराने के बाद जेल गेट पर तैनात कर्मियों ने शुभम को यह कहकर बैरंग लौटा दिया कि पवन उससे मुलाकात करना नहीं चाहता।
श्रीमती केशरवानी ने बताया है कि दूसरे दिन 10 नवम्बर को पवन से मुलाकात करने वह स्वयं सागर केन्द्रीय जेल गई तो वहां दो बंदी पवन को सहारा देकर मुलाकात कराने लाये। पवन की यह हालत कैसे हुई पूछने पर उसने माँ निशा को बताया कि जेल वार्ड के इंचार्ज माखन व उसके साथियों द्वारा मारपीट की जा रही है और मानसिक प्रताडि़त किया जा रहा है। इस मुलाकात में पवन ने अपनी मां से कहा था कि उसकी खैरियत इसी में है कि जेल अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं करे और जेल वार्ड इंचार्ज माखन द्वारा मांगे जा रहे रूपए उसे देते रहें। इसके बाद 13 नवम्बर भाई-दूज के दिन निशा केशरवानी सुबह करीब 9 बजे पवन से मिलने सागर केन्द्रीय जेल पहुंची थी। जहां उसे बताया गया कि अभी कुछ देर पहले ही पवन को इलाज के लिए भोपाल भेज दिया गया है। तब घंटे भर बाद निशा केशरवानी यात्री बस से भोपाल रवाना हुई। केन्द्रीय जेल भोपाल के प्रांगण में शाम को चार-पांच बजे के बीच बड़ी मुश्किल से पवन से मुलाकात हो पाई। वहां भी दो बंदी पवन को सहारा देकर लाये। उसने अपनी मां से जिस तरह की बातें की, उससे लगा कि उसकी मानसिक हालत विक्षिप्त हो चुकी है।
लिखित शिकायत में निशा केशरवानी ने बताया है कि सागर केन्द्रीय जेल के अधिकारियों ने उसे कभी यह नहीं बताया कि पवन को क्या बीमारी है और उसका इलाज किन दवाओं से किया जा रहा है। जेल अधिकारियों ने यह भी सूचना नहीं दी कि पवन को सागर से भोपाल ले जाया जा रहा है। श्रीमती केशरवानी ने केन्द्रीय जेल सागर के अधिकारी कर्मचारियों पर पवन को प्रताडि़त करने और जेल में चौथ वसूली किए जाने का आरोप लगाते हुए अपनी फरियाद में मामले की उच्च स्तरीय जांच तथा पवन का समुचित इलाज कराने का अनुरोध किया है।