जबलपुर।   मेडिकल दंत चिकित्सा विशेषज्ञों की भर्ती पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने राज्य शासन व पीएससी को नोटिस जारी कर व भर्ती प्रक्रिया पर यथास्थिति बरकरार रखने के अंतरिम निर्देश के साथ ही राज्य शासन व पीएससी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है ।

दरअसल, चिकित्सा सेवा भर्ती नियम 2008 में 19 अप्रैल, 2022 को संशोधन से चिकित्सा अधिकारियों-दंत चिकित्सकों के लिए पदोन्नाति के अलावा चयन प्रक्रिया से विशेषज्ञ पदों पर नियुक्ति का प्रविधान जोड़ा गया। वहीं, मालूम हो कि याचिकाकर्ता राज्य के विभिन्ना शासकीय अस्पतालों में कार्यरत आठ दंत शल्य चिकित्सकों की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। दलील के अनुसार 17 अगस्त, 2022 को मेडिकल दंत चिकित्सा विशेषज्ञ पद पर भर्ती के सिलसिले में पीएससी की ओर से विज्ञापन निकाला गया। मालूम हो कि इस विज्ञापन के प्रविधानों के कारण याचिकाकर्ताओं का हित प्रभावित हो रहा अत: इसका विरोध किया जा रहा है।

मालूम हो कि जिन चिकित्सा अधिकारियों को विशेषज्ञ के पदों पर चयनित किया गया है, उनकी वरिष्ठता सीधी भर्ती से की जाने वाली नियुक्तियों से प्रभावित नहीं होगी, किंतु कार्यरत दंत चिकित्सकों को चयनित न करते हुए दंत विशेषज्ञ पदों पर सीधी भर्ती करना उनकी वरिष्ठता को हमेशा के लिए प्रभावित करेगा। इसी के साथ सभी योग्य चिकित्सा अधिकारियों को विभिन्न चिकित्सा विभागों में विशेषज्ञ के पदों पर चयनित कर लिया गया किंतु दंत चिकित्सकों को बड़ी संख्या में पद खाली होते हुए भी इस चयन प्रक्रिया से वंचित रखा गया। यह रवैया संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है।

जानकारी हो कि 2008 के भर्ती नियम अंतत: दो अगस्त, 2022 को अधिसूचित नवीन भर्ती नियम से प्रतिस्थापित हो चुके थे, उसमें सीधी भर्ती के विशेषज्ञ के पदों को सिर्फ आयोग द्वारा प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से भरा जाना है। वहीं, अब जबकि साक्षात्कार के माध्यम से प्रथम श्रेणी विशेषज्ञ पदों पर सीधी भर्ती का कोई प्रविधान नए नियमों में नहीं है। तो ऐसे में प्रथमदृष्टया आयोग द्वारा अगस्त 17 को जारी विज्ञापन 2022 के भर्ती नियमों के विरुद्ध है।