हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई में लड़कियां प्यार की सतरंगी दुनिया को हकीकत में उतारने के लिए बाबुल की दहलीज लांघने से बिलकुल गुरेज नहीं कर रहीं. बीते नौ महीने में ही 564 लड़कियां ऐसा कर चुकी है. हालात को देखते हुए ऐसे मामलों में अब पुलिस डायरी मेंटेन करने लगी है. पुलिस के मुताबिक लड़कियों के भागने के बाद उनके मां बाप पुलिस और कचहरी के चक्कर लगाने लगते हैं. ऐसे हालात में पुलिस को भी इन लड़कियों की तलाश में शहर दर शहर की खाक छाननी पड़ जाती है.

रुपहले पर्दे पर होने वाली मोहब्बत की दास्तानें जिले में साकार रूप ले रही हैं. यहां युवतियों को मां-बाप व परिजनों की बंदिशें रास नहीं आ रहीं. वह अपने प्यार के सतरंगी ख्वाबों को हकीकत में उतारने की खातिर घर की दहलीज लांघने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. हरदोई पुलिस के आंकड़ों की माने तो बीते 9 महीने में ही 564 लड़कियां बाबुल का घर छोड़ कर प्रेमी के भाग चुकी हैं. यह आंकड़े कोई हवा हवाई नहीं है, बल्कि इसे पुलिस की जीडी में दर्ज किया गया है. पुलिस ने इनमें से काफी लड़कियों को बरामद भी किया है, हालांकि अभी भी कई लड़कियों की तलाश में पुलिस दिल्ली मुंबई के चक्कर लगा रही है.

ज्यादातर नाबालिग लड़कियों ने छोड़ा घर
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक बीते नौ महीने के अंदर घर छोड़ कर भागने वाली 564 लड़कियों में ज्यादातर नाबालिग हैं. पुलिस के रिकार्ड के मुताबिक इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या 14 साल से 17 साल के बीच का है. दरअसल जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही इनको इश्क का रोग लगा और इन्होंने अपने मां-बाप की इज्जत को ताक पर रखकर प्रेमी के साथ घर से निकल गए. वहीं उसके बाद से इन लड़कियों के परिजन थाने और कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं.

कई बार नीलाम हो चुकी है मां बाप की इज्जत
कचहरी में ऐसी लड़कियां कई बार अपनी मां बाप की इज्जत को उछाल चुकी है. दरअसल जो लड़कियां नाबालिग होती हैं, उन्हें तो पुलिस बरामद करने के बाद परिजनों को वापस कर देती है, लेकिन जब लड़की बालिग होती है तो आम तौर पर वह अपने बयान (सीआरपीसी की धारा 164 के तहत) में कह देती है कि वह बालिग है और उसने अपनी मर्जी से शादी किया है. इसके बाद उसे कानून भी उसे विवश नहीं कर पाता. वहीं लड़की अपने प्रेमी के साथ चली जाती है. ऐसे हालात में उनके मां बाप की पगड़ी उतर जाती है.

सबसे ज्यादा मामले बेनीगंज थाने में
हरदोई में प्रेमी संग भाग रही लड़कियों के दर्ज मामलों की बात करें तो जिले के हर थाने में इनकी संख्या बेशुमार है. पिछले 9 महीने में ही कुल 564 लड़कियां प्रेमी के साथ भाग चुकी है. इस वर्ष अरवल थाने में 15, बेहटा गोकुल थाने में 13, अतरौली थाने में 29, बेनीगंज थाने में 43, बघौली थाने में 34, बिलग्राम थाने में 26, हरियावां थाने में 10, कछौना में 27, कासिमपुर में 24, शहर कोतवाली में 37, देहात कोतवाली में 21, लोनार थाना में 26, माधौगंज में 30, मझिला थाने में 14, मल्लावां थाने में 23, पचदेवरा थाने में 7, शाहाबाद कोतवाली में 26, पाली थाने में 16, पिहानी कोतवाली में 28, साड़ी थाने में 22, संडीला कोतवाली में 25, सुरसा थाने में 20, टडियावां थाने में 26 और हरपालपुर कोतवाली में 24 मामले लड़कियों के घर छोड़ने के दर्ज किए गए.

सबसे कम पंचदेवरा से भागी लड़कियां
पुलिस के मुताबिक जिले में सबसे कम लड़कियां पंचदेवरा थाने क्षेत्र से भागी हैं. वहीं सबसे ज्यादा बेनीगंज कोतवाली क्षेत्र से भागी हैं. रोज किसी ना किसी क्षेत्र से लड़कियों के भागने की वजह से पुलिस की महिला सेल का काम काफी बढ़ गया है. हरदोई के पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने बताया कि प्रेमी और प्रेमिका की बरामदगी के बाद में इनका मेडिकल कराया जाता है. यदि नाबालिक हुई तो उसे सीडब्ल्यूसी के समक्ष काउंसलिंग के लिए प्रस्तुत किया जाता है. वहीं बालिग होने पर उसके मां-बाप से बात की जाती है. लड़की अगर अपने प्रेमी के साथ जाना चाहती है तो बालिग होने के कारण उसकी इच्छा के अनुसार उसे जाने दिया जाता है. हालांकि यह निर्णय काउंसलिंग के बाद ही लिया जाता है.

मिशन शक्ति के तहत पुलिस चला रही है अभियान
हरदोई में महिला थाना अध्यक्ष राम सुखारी ने बताया कि वह जनपद में महिला पुलिस के द्वारा मिशन शक्ति के तहत बालिका विद्यालयों में बच्चियों को जागरूक करने का प्रयास कर रही हैं. रोजाना पैदल गश्त के दौरान आवारा शोहदों पर भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पार्कों बालिका विद्यालय के बाहर और चौराहों पर महिला पुलिस पैदल गश्त करती रहती है. ऐसे तत्वों को पकड़ने के बाद में उन्हें चेतावनी देते हुए उनके परिजनों तक बात को पहुंचाते हुए अग्रिम विधिक कार्यवाही की जाती है.

बाल कल्याण समिति करती है काउंसलिंग
हरदोई में सीडब्ल्यूसी चेयरमैन संतोष सिंह ने बताया कि स्कूल से जन्म प्रमाण पत्र या आयु निर्धारण के लिए हड्डी परीक्षण या जन्म प्रमाण पत्र के माध्यम से यह तय किया जाता है कि यह भागने वाला बच्चा बालिग है या नाबालिग. प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर बोर्ड की मनोवैज्ञानिक सदस्य पूजा पाल और संगीता के द्वारा बच्चे-बच्ची की काउंसलिंग की जाती है. नाबालिक होने की स्थिति में उसे काउंसलिंग के लिए अग्रिम कार्यवाही हेतु भेज दिया जाता है. अगर उक्त व्यक्ति बालिग है तो उसकी भी काउंसलिंग की जाती है और परिवारी जनों से बात करने के बाद स्थितियों को देखते हुए बोर्ड गंभीर निर्णय भी लेता है. उन्होंने बताया कि इस तरीके के काफी मामले पिछले एक दशक में बढ़े हैं. ऐसा सामाजिक दूरियों के कारण भी हो रहा है.