भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि कोरोना ने एक चुनौती उत्पन्न की है। हम धर्य, साहस और संयम से इसका मुकाबला कर रहे है। चौहान ने प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के सदस्यों के साथ ‘कोविड-19 की चुनौतियाँ और एकात्म बोध’ विषय पर विस्तार से चर्चा की।  

उन्होंने कहा कि आज आचार्य शंकर एवं रामानुज की जयंती है। मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापित करने और अन्य कार्यों से सभी न्यासी अवगत हैं। उन्होंने कहा है कि कोरोना ने एक चुनौती उत्पन्न की है। हम धैर्य, साहस और संयम से इसका मुकाबला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में सभी जरूरी कार्रवाई की गई। धर्म और दर्शन भी इस संकट से निपटने में राह दिखा रहा हैं।  

उन्होंने कहा कोरोना संकट ने यह संदेश भी दे रहा कि हमें नई जीवन पद्धति अपनानी पड़ेगी। नए ढंग से जीना पड़ेगा। यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि हमारा विकास किस तरह हो। अर्थ-व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वदेशी अपनाते हुए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर कुटीर ग्रामीण उद्योगों को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति की आराधना की परंपरा सशक्त हो। हम नदी को माँ और वृक्षों को पूजनीय मानते हैं। सभी नदियां हमारे लिए पूजनीय हैं। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सब में एक ही आत्मा का दर्शन किया जा सकता है। उन्होंने आध्यात्मिक गुरुओं से कहा कि मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ। एकात्म बोध कैसे जागे और हम अंधेरे से उजाले की तरफ कैसे बढ़े। आप सभी का दर्शन इस संबंध में उपयोगी होगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही आचार्य शंकर सांस्कृतिक व्यास की बैठक भी आयोजित की जाएगी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आध्यात्मिक गुरुओं ने मुख्यमंत्री द्वारा मध्यप्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के लिए भी यह आयुर्वेदिक काढ़ा अनुकरणीय होगा। स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी संवित सोम गिरि ने मध्यप्रदेश के इस नवाचार की प्रशंसा की।  

भारत माता मंदिर के प्रमुख जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि ने कहा सांस्कृतिक न्यास आपके संकल्प से बना है। न्यास के न्यासी गण और सभी संत-वृंद सभी की ओर से आपको बधाई। स्वामी जी ने कहा कि चुनौती के इस समय में भय, अभाव, अवसाद तो आए ही हैं, समाधान का अवसर भी उपलब्ध है। जीवन अंतहीन संभावनाओं का नाम है। मनुष्य की चेतना शताब्दियों से इस तरह के कष्ट देख रही है। स्वामी जी ने कहा आचार्य शंकर का एकात्म का संदेश भी एक बड़े समाधान के रूप में उपलब्ध है। इस सिद्धांत से विश्व एकीकृत है। वैसे भी भारत की विधियाँ संसार में स्वीकृत हुई हैं । प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भारत का योग एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसी तरह, अन्य सांस्कृतिक परंपराएँ और आयुर्वेद का उपयोग इस संकट को कम करने और समाप्त करने में सहयोगी है। 

स्वामी अवधेशानंद ने मुख्यमंत्री के आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग को बढ़ाने और मध्यप्रदेश की करीब एक करोड़ जनता तक इसे पहुंचाने के कदम की सराहना की। उन्होंने कहा कि नर्मदा परिक्रमा के समय लगभग 25 करोड़ वृक्षारोपण, सिंहस्थ के सफल आयोजन और उसमें स्वयं निरंतर एक माह उपस्थित रहने के श्री चौहान के कदम उन्हें एक शासक, एक समर्थ प्रशासक और सच्चे उपासक की पहचान देते हैं।  

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि समय में बहुत बदलाव आने वाला है लेकिन आपत्ति की स्थिति में भी ईश्वर की कृपा होती है। आयुर्वेद का प्रचार हो रहा है यह इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में उपयोगी है। इसी तरह मनुष्य की मनोदशा ठीक रहती है, तो यह इम्यून सिस्टम और अच्छा रहता है। स्वामी जी ने कहा कि इस समय भक्ति, श्रद्धा, विश्वास बदलाव लाने का कार्य कर रहे हैं। लोगों का उत्साह बढ़ रहा है। सभी प्रार्थना और पाठ में सक्रिय हैं निश्चित ही पूजा, आराधना का सकारात्मक प्रभाव होता है। हम सभी भारतीय पूरी दुनिया के लिए प्रार्थना करते हैं। अपनी ओर से हम सेवा करते हैं और व्यवहार परिवर्तन का प्रयत्न करते हैं, तो यह संपूर्ण समाज के लिए उपयोगी होता है। वेदांत ज्ञान और भगवान शंकराचार्य के सिद्धांतों पर विचार और क्रियान्वयन आज की आवश्यकता है।

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