नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल यौन शोषण तथा बाल तस्करी के खिलाफ छेडी गई जंग के प्रति अभूतपूर्व जागरूकता दिखाई दे रही है। 11 सितम्बर से आरंभ हुई इस 35 दिवसीय श्भारत यात्राश् लगातार आगे बढ़ रही है। अभी इस यात्रा को 15 दिन हुए हैं। इस बीच एक लाख से ज्यादा लोग इस यात्रा से जुड़कर अपना समर्थन व्यक्त कर चुके हैं। पांच दिन बाद 15 सितम्बर को जब यह यात्रा कनार्टक में प्रवेश करते हुए कोलार पहुंची थी, 55 हजार लोग इससे जुड़ चुके थे।
यात्रा की शुरूआत से ही लोगों ने इस यात्रा से जुड़ना आरंभ कर दिया था। अब तक करीब एक लाख से अधिक बच्चों, युवाओं तथा कार्यरत पेशेवरों ने यात्रा में शामिल होकर अपना समर्थन दिया है। इस दौरान कर्नाटक के कोलार शहर में अब तक का सबसे बडा 10 हजार लोगों का जनसैलाब उमडा। इसमें बाल यौन शोषण को रोकने, देश में बेहतर कानून की मांग करते हुए भारत के बच्चों को इन घृणित गतिविधियों से बचाने की शपथ ली। यह यात्रा में शामिल लोगों ने देश के युवाओं से पूरे भारत में बच्चों के लिए लडने के लिए आगे आने का आह्वान किया । उन्होने कोलार के लोगों से सुरक्षित बचपन तथा सुरक्षित भारत निर्माण करने के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया।
इस बारे में सत्यार्थी ने कहा कि बलात्कार और यौन शोषण के खिलाफ केवल जंग की घोषणा करना ही पर्याप्त नहीं है । अपने बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस समाधान और विश्वास निर्माण करने की दिशा में हमें देखना चाहिए। मैं देश के सभी राजनीतिक समुदायों से अनुरोध करता हूं कि वह एक आम अभिभावक की तरह देश के विद्यालय मे वापस लौटें। अपने आप सारी चीजों को देखेे, वहां के परिवेश को अनुभव करें, उनसे प्रश्न करें। विद्यालय को हमारे बच्चों के लिए एक शिक्षण संस्थान और स्वर्ग माना जाता है। यह उत्पीडन स्थल नहीं होना चाहिए।
उन्होने आगे कहा कि हम समस्याओं को सृजनात्मक ढंग से निपटाएं, हम आगे आकर अपने बच्चों के लिए सुरक्षित बचपन के लिए कार्य करने तथा समर्थन करने की शपथ लें। मैं सभी अभिभावकों से अपील करता हूं कि वह विश्वास का बोध स्थापित करने में मदद करें तथा अपने बच्चों के साथ मित्रवत बनकर रहें, ताकि वह किसी भी समस्या पर निर्भिक होकर चर्चा कर सकें। हमारे बच्चों के लिए राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत को वास्तविकता में बदला जाए।
जब से भारत यात्रा आरंभ हुई है, इसे पूरे भारत में नागरिकों से भरपूर सहयोग मिल रहा है जिनमें अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं जिन्होने अपने प्रशंसकों को ट्विट कर यात्रा को समर्थन करने की अपील की है। इससे पहले केंद्रीय जहाजरानी तथा वित्त मंत्री पाॅन राधाकृष्णन ने सत्यार्थी के साथ मिलकर यात्रा को आरंभ किया था। त्रिवेन्द्रम में केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने बाल यौन शोषण तथा तस्करी जैसी बुराई को समाप्त करने के लिए अपनी सरकार की ओर से खुले हृदय से समर्थन का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैलाश सत्यार्थी को व्यक्तिगत पत्र भिजवाकर तमिलनाडु सहित 22 राज्यों से गुजरकर 11हजार किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस यात्रा के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। 35 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर, श्रीनगर सहित देश के कई प्रमुख शहरों से होकर गुजरेगी।
कन्याकुमारी में यात्रा शुभारंभ होने के दौरान सत्यार्थी ने घोषणा की थी कि जब तक इस देश के बच्चे सुरक्षित नहीं हो जाते में चैन से नहीं बैठूंगा। यदि बलात्कार और शोषण की धटनाएं रूकती नही है तो मैं अपनी लडाई समाप्त नहीं करने वाला हूं। मै तब तक शांति से सो नहीं सकता जब तक तक हम बलात्कार और शोषण के खिलाफ अपनी जंग जीत नहीं जाते। यह नैतिक महामारी हमारे देश के लिए अभिशाप बन गई है तथा यही समय है जब हमें एकजुट होकर इसके खिलाफ लडना है।
भारत यात्रा आरंभ करने के पीछे अपने मिशन को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मैं यह यात्रा क्यों निकाल रहा हूं? क्योंकि, मेरे बच्चों के साथ बलात्कार हो रहा है। मै यह स्वीकार नहीं कर सकता कि हर घंटे आठ बच्चे गायब हो रहे हैं और दो के साथ बलात्कार हो रहा है। हर बार यदि एक भी बच्चा खतरे में है तो भारत खतरे में है। भारत यात्रा एक बार फिर से भारत को अपने बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए है।
कैलाश सत्यार्थी पिछले 36 वर्षो से दुनियाभर में बच्चों की आजादी, सुरक्षा तथा संरक्षा के लिए अभियान चला रहे है। बच्चों के अधिकारों के लिए उनके सतत प्रयासों और संघर्ष के लिए उन्हें 2014 का नोबल शांति पुरस्कार मिला था। इस यात्रा को बच्चों के बलात्कार तथा बाल यौन शोषण के खिलाफ तीन साल के अभियान के रूप में आरंभ किया गया है। इसका लक्ष्य जागरूकता बढाना, ऐसे प्रकरणो की रिपोर्ट करना, चिकित्सीय स्वास्थ्य तथा मुआवजे सहित संस्थागत प्रतिक्रियाओं को मजबूत करना, सुनवाई के दौरान पीडितों और गवाहों की सुरक्षा एक समयबद्ध तरीके से बाल यौन शोषण के लिए अपराध सिद्धी को बढाना है।

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