इंदौर। कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने विद्यार्थियों और पालकों के व्यापक हित में असरकारी आदेश पारित किया है। अब कोई भी विद्यालय पालकों पर किताबें स्कूल की ड्रेस और अन्य शैक्षिणक सामग्री क्रय करने का अनूचित दबाव नही डालेगा। ऐसा करने पर विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जायेगी।

कलेक्टर जाटव ने बताया कि विभिन्न माध्यमों से यह संज्ञान मे आया है कि निजी विद्यालय प्रबंधन एवं प्राचार्य द्वारा पाठयपुस्तकों, यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री के क्रय हेतु पालकों पर अनुचित दबाव डाला जाता है, इस संबंध में समय समय पर विद्यालयों को इस पर रोक लगाने हेतु आदेशित किया जाता रहा है। राज्य शासन द्वारा एवं संबंधित बोर्ड द्वारा भी समय-समय पर परिपत्र जारी किये गये है। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा भी इस संबंध में परिपत्र जारी किया जा चुका है।

कलेक्टर ने आदेशित किया है कि इस नियम के परिपेक्ष में समस्त विद्यालय प्रबंधन प्राचार्य जिस भी नियामक बोर्ड, सीबीएसई, सी.आय.एस.सी. आई.मा.शि.मण्डल से संबध्द है के द्वारा निर्धारित पाठयक्रम व पाठयक्रम के अन्तर्गत नियामक बोर्ड द्वारा निर्धारित अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी यथा-एनसीईआरटी, मध्यप्रदेश पाठयपुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाषित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशका मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करें। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगें कि अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कंप्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जाये।

समस्त विद्यायल प्रबंधन प्राचार्य विद्यार्थियों, अभिभावकों, पालकों को पुस्तकें, कॉपियॉ, संपूर्ण यूनिफार्म आदि किसी भी एक निश्चित दुकान, विक्रता, संस्था विशेष से क्रय किये जाने हेतु बाध्य नहीं करें। विद्यालय प्रबंधन, विक्रेता द्वारा पुस्तकें के सेट की कीमत बढ़ाने की दृष्टि से अनावश्यक सामग्री, जो निर्धारित पाठयक्रम से संबंधित नहीं है, का समावेश सेट में नहीं किया जा सकेगा।

जिन विषयों के संबंध में नियामक बोर्ड या संस्था के द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित, मुद्रित नहीं की जाती है उस विषय से संबंधित पाठयपुस्तक को अनुशंषित करने के पूर्व समस्त विद्यालय प्रबंधन-प्राचार्य सुनिश्चित करेगें कि उक्त पुस्तक की सामग्री ऐसी नहीं आपत्तिजनक नहीं हो जिससे लोक प्रशांति भंग होने की संभावनाओं हो।

विद्यालय प्रबंधन द्वारा अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म नहीं की जाये, ब्लेजर इसके अतिरिक्त होगा एवं स्कूल यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जाये कि कम से कम तीन सत्र तक उसमें परिवर्तन नहीं है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को क्रय करने हेतु विद्यार्थियों, अभिभावकों को बाध्य किया जाये।

तत्संबंध में समय पर राज्य शासन एवं विभिन्न बोर्ड द्वारा स्पष्टता: निर्देश जारी किये जाने की पुनरावृत्ति भी की गई है। यथा- केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा परिपत्र 12 अप्रैल 2016 में एनसीईआरटी, सीबीएसई से अतिरिक्त भिन्न प्रकाषकों की पुस्तके क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाने एवं परिपत्र 18 दिसंबर 2017 में इन बिन्दुओं को पुन: स्पष्ट किया गया है।

कलेक्टर जाटव ने निर्देश दिये है कि समस्त निजीस्कूल संचालक, प्राचार्य सुनिश्चित करें कि विद्यालय में आपके नियामक बोर्ड द्वारा उल्लेखित प्रावधानों एवं राज्य शासन के द्वारा जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जावे। इनका उल्लंघन किए जाने की दशा में राज्य शासन द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र को निरस्त करने एवं संबध्दता, मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जावेगी।

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